कोरोना संक्रमण से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता जरूर करें यह काम

दुनियाभर में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण जारी है। संक्रमण की शुरुआत से ही बच्चों में इसके अधिक खतरे को लेकर आशंका जताई जा रही है, इसका एक कारण बच्चों का टीकाकरण न हो पाना माना जा रहा है। वैश्विक स्तर पर संक्रमण के दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी कम है, कुछ देशों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उस खास तरीके के बारे में बताया है जिसको प्रयोग में लाकर बच्चों को संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सकता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी यूएस, क्लैलिट रिसर्च इंस्टीट्यूट और इज़राइल के तेल-अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत स्वास्थ्य रिकॉर्ड डेटाबेस का  विश्लेषण किया। इस आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि माता-पिता दोनों का  टीकाकरण  हो गया है तो एक ही घर में रहने वाले बच्चों को पर्याप्त सुरक्षित माना जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के खिलाफ फिलहाल सभी वयस्कों का टीकाकरण सबसे आवश्यक है जिससे कि घर में रह रहे अन्य लोगों में संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। आइए आगे इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।

माता-पिता का वैक्सीनेशन आवश्यक

साइंस जर्नल में गुरुवार को प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि माता-पिता का अगर टीकाकरण हो जाता है तो इससे न केवल उनके संक्रमित होने की आशंका कम हो जाती है, साथ ही यदि वह संक्रमित हो भी जाते हैं तो उनसे  घर के अन्य सदस्यों में संक्रमण के प्रसार की आशंका कम हो जाती है। विशेषकर ऐसा करके बच्चों को सुरक्षित रखा जा सकता है क्योंकि ज्यादातर देशों में अभी भी 18 साल से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण नहीं शुरू हो पाया है।

अध्ययन में क्या पता चला?

इजराइल में जून और अक्टूबर 2021 के बीच डेल्टा वैरिएंट के कारण संक्रमण उच्च स्तर पर रहा। इस अवधि के दौरान, शोधकर्ताओं ने 76,621 अलग-अलग घरों के 181,307 गैर टीकाकृत बच्चों पर अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने इसके लिए तीसरी खुराक और कम से कम पांच महीने पहले केवल दूसरी खुराक ले चुके माता-पिता की तुलना की। शोधकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके माता-पिता से बच्चों के संक्रमित होने का खतरा 59 फीसदी तक कम हो सकता है।

क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?

क्लैलिट रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर नोआम बर्दा कहते हैं, हाल के दिनों में दुनियाभर में टीकाकरण की सीमा, आयु के आधार पर बढ़ाई गई है, लेकिन ज्यादातर देशों में बच्चों और किशोरों को अब भी वैक्सीन नहीं मिल सकी है। इस अध्ययन से पता चलता है कि माता-पिता का टीकाकरण एक ही घर में रहने वाले बच्चों के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण के लिए योग्य लोगों को जल्द से जल्द इसकी दोनों खुराक प्राप्त कर लेनी चाहिए, जिससे घर के अन्य लोगों को भी सुरक्षित रखा जा सके।

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