डायबिटीज आज दुनियाभर के लिए बड़ी चिंता का विषय है, भारत के लिए यह परेशानी और भी बड़ी है क्योंकि यहाँ बहुत तेजी से डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। पिछले दो दशकों में हमारे खान-पान और जीवनशैली ऐसे बदलाव आए हैं जिसके चलते लोगों में डायबिटीज का खतरा काफी बढ़ गया है।
डायबिटीज का निदान होने के बाद डॉक्टर आपको दवाएं प्रिस्क्राइब करते हैं। कुछ लोगों को इसके नियंत्रण के लिए इन्सुलिन के इंजेक्शन भी लेने पड़ते हैं। दवाइयां ज्यादातर मामलों में जीवनभर के लिए होती है लेकिन क्या आपने कभी डॉक्टर से यह पूछा है कि इस दवाई से जुड़े साइड इफेक्ट्स क्या हैं और इसके सेवन से जुड़ी कोई सावधानी भी आपको रखनी है या नहीं? इस बात पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते और साइड इफेक्ट्स को भी ज्यादातर नजरअंदाज कर दिया जाता है। आइए आगे की स्लाइडों में दवाइयों से जुड़े ऐसे ही साइड-इफेक्ट्स के बारे में जानते हैं।
डायबिटीज की दवाइयों के हो सकते हैं दुष्प्रभाव
मेटफॉर्मिन वह दवा है जिसका उपयोग आमतौर पर टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में किया जाता है। यह लिवर द्वारा बनने वाली शुगर की मात्रा के साथ ही खून में भी शकर की मात्रा को कम करने में मददगार होती है। इस दवाई की वजह से शुरुआत में नॉशिया या घबराहट, गैस, दस्त लगना, जी मिचलाना, पेट खराब होना और विटामिन बी-12 की कमी (लम्बे समय में और हाई डोज़ के कारण) जैसे साइड इफेक्ट्स सामने आ सकते हैं। रेयर केसेस में इस दवाई की वजह से लैक्टिक एसिडोसिस की गंभीर स्थिति बन सकती है। ऐसे में अगर बहुत अधिक थकान, उनींदापन, सांस लेने में दिक्कत, कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द या उलटी जैसी समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर आप डायबिटीज के अलावा अन्य दवाएं ले रहे हैं तो उनके कॉम्बिनेशन को लेकर भी डॉक्टर से सलाह अवश्य लें क्योंकि कुछ दवाएं डायबिटीज इन की दवाओं के साथ मिलकर अलग तरह से रिएक्शन दे सकती हैं। जैसे हाईबीपी, पेट के छालों के इलाज के लिए, ह्रदय रोगों के लिए, मलेरिया के लिए या बैक्टीरियल संक्रमण के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दवाएं मेटफॉर्मिन में मौजूद एन्जाइम्स के साथ मिलकर खून में शुगर के स्तर को असंतुलित कर सकती हैं।
दवाइयों के कारण लो ब्लड शुगर की समस्या
सल्फोनिल यूरिया के अंतर्गत डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की जाने वाली दवाएं डायबिटिक मरीजों में पैंक्रियाज को अधिक इन्सुलिन के उत्पादन के लिए प्रेरित करने में मदद के हिसाब से दी जाती हैं। इन दवाओं की मात्रा और नियमित सेवन का ध्यान न रखने पर जो सबसे गंभीर साइड इफेक्ट सामने आता है वह है लो ब्लड शुगर का। इससे अचानक आपको कमजोरी और कंपकंपाहट, तेज पसीना आना, चक्कर आने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इसके अलावा इनकी वजह से पेशाब का रंग गहरा होना, वजन बढ़ना और त्वचा पर रैशेस होने जैसे साइड इफेक्ट्स भी सामने आ सकते हैं।
दवाइयों के इन खतरों को जानिए
मेगलिटिनॉइड्स के अंतर्गत आने वाली दवाइयां तेजी से काम करने वाली होती हैं और वे ज्यादा समय शरीर में रहती नहीं। ये भी पैंक्रियास को अधिक इन्सुलिन के उत्पादन में मदद करती हैं। इनकी वजह से लो ब्लड शुगर और वजन बढ़ने जैसे साइड इफेक्ट्स सामने आ सकते हैं। साथ ही ये कुछ ब्लड प्रेशर की दवाओं, फंगल संक्रमण के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं, एंटीबायोटिक्स, एस्ट्रोजन, गर्भनिरोधक गोलियों, थाइरॉइड सप्लीमेंट्स आदि के साथ मिलकर खून में शुगर की मात्रा को असंतुलित भी कर सकती हैं।
पहले से दवाइयां ले रहे हैं तो बरतें सावधानी
थायाज़ोलीडीनडियोन- ये दवाइयां शरीर में इन्सुलिन के काम को बढ़ाने में सहायता करती हैं। इसकी वजह से शरीर में सूजन, बैड कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, फ्रेक्चर (रेयर केसेस में मेनोपॉज वाली महिलाओं में या जिनमे ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका पहले से है उनमें) जैसे साइड इफेक्ट्स सामने आ सकते हैं। वहीं पहले से हार्ट फेलियर से जूझ रहे लोगों में मुश्किल और बढ़ सकती है। कुछ दवाएं उस एंजाइम को ब्लॉक कर सकती हैं जो इस दवाई को शरीर में काम करने में मदद करता है। यदि आप कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के लिए, ओसीडी (ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसॉर्डर) के इलाज के लिए, गंभीर फंगल संक्रमण के इलाज के लिए, टीबी के लिए दवाई आदि ले रहे हैं तो इसको लेने से पहले डॉक्टर को अवश्य बताएं।
दवाइयों के बारे में डॉक्टर से लें पूरी सलाह
इनके अलावा डायबिटीज के लिए अल्फा-ग्लूकोसाईडेस इन्हिबीटर्स (खाने के पहले कौर के साथ ली जाने वाली), डीपीपी-4 इन्हिबीटर्स (खाने के बाद), एसजीएलटी 2 इन्हिबीटर्स, इन्सुलीन थैरेपी (इंजेक्शन के द्वारा) आदि ले रहे हैं तो भी आपको पेट में गड़बड़, नाक का भरा महसूस होना, गला खराब होना, दस्त लगना, ड्राय माउथ, रैशेज, चक्कर आना, एंग्जायटी, आदि जैसे साइड इफेक्ट्स सामने आ सकते हैं। पिछले कुछ समय से एसजीएलटी 2 इन्हिबीटर्स दवाएं भी काफी उपयोग में लाई जा रही हैं। इसके अच्छे रिजल्ट्स भी मिले हैं। लेकिन इसकी वजह से कई बार जेनिटल (निजी अंगों का) संक्रमण और यूटीआई की रिस्क बढ़ सकती है। ये दवाएं भी अन्य कई दवाओं के साथ मिलकर शरीर को मुश्किल में डाल सकती हैं। इसलिए डायबिटीज की कोई भी दवाई जब डॉक्टर आपको प्रिस्क्राइब करें तो डॉक्टर को पूर्व में ली जा रही दवाइयों की जानकारी अवश्य दें और उनसे पूछें कि दवाई का सेवन कैसे करना है?