अध्ययनों से पता चलता है कि हमारे शरीर के सभी अंग एक दूसरे से जुड़े होते हैं, यानी कि एक को होने वाली परेशानी का असर दूसरे अंग की सेहत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। हृदय और मस्तिष्क के बीच भी ऐसा ही संबंध होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों की हृदय गति लगातार बढ़ी हुई रहती है, उनमें डेमेंशिया जैसे मनोरोग का जोखिम अधिक हो सकता है। डेमेंशिया या मनोभ्रम को संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में होने वाली क्षति से संबंधित समस्या माना जाता है, जिसके कारण लोगों को सोचने, चीजों को याद रखने और तर्क करने जैसे चीजों में काफी कठिनाई महसूस हो सकती है। डेमेंशिया के कारण व्यक्ति के दैनिक जीवन के कार्यों में भी समस्या आ सकती है, यही कारण है कि लोगों को इससे बचाव करते रहने की सलाह दी जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेमेंशिया, न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी के सबसे आम और गंभीर प्रकारों में से एक है। स्वीडन के करोलिंस्का संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में हृदय गति के साथ डेमेंशिया के संबंध पर प्रकाश डाला गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हृदय गति का लगातार बढ़े रहना आपके दिल ही नहीं दिमाग के लिए भी खतरनाक हो सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।