कोरोना के बाद इस नए संकट को लेकर अलर्ट |NeoCoV Coronavirus

भारत सहित दुनियाभर के अधिकांश देश पिछले दो साल से अधिक समय से कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं। इस महामारी के कारण अब तक 37 करोड़ से अधिक संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें से 56 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी कोरोना की अब तक आई तीन लहरों ने लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। कोरोना के नए और बेहद संक्रामक माने जा रहे ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण देश इस समय संक्रमण की तीसरी लहर झेल रहा है। कई रिपोर्ट्स में भले ही दावा किया जाता रहा हो कि जल्द ही दुनिया को कोरोना संकट से मुक्ति मिल सकती है, पर सावधान, खतरा अभी टला नहीं है। दुनिया अभी भी कोरोना संक्रमण की मार से बाहर भी नहीं निकल पाई है थी कि वुहान विश्वविद्यालय और चीनी विज्ञान अकादमी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने नए खतरे को लेकर लोगों को अलर्ट किया है।

हालिया रिपोर्ट्स में वुहान के वैज्ञानिकों ने एक नए प्रकार के कोरोनावायरस ‘नियोकोव’ को लेकर चेतावनी जारी की है। आशंका जताई जा रही है कि संभावित रूप से इसके कारण होने वाले संक्रमण और मृत्यु दर का खतरा अधिक हो सकता है। चीनी शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, नियोकोव एक प्रकार का कोरोनावायरस है जो दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों के बीच पहले भी देखा जा चुका है। भविष्य में मनुष्यों के लिए यह गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्या है नियोकोव?

नियोकोव, शब्द का इस्तेमाल मार्स-सीओवी से जुड़े एक वायरस के प्रकार को संदर्भित करने के लिए किया जाता रहा है। मार्स-सीओवी, भी सार्स-सीओवी-2 की तरह ही कोरोनावायरस परिवार से संबंधित है और अब तक के ज्ञात उन सात कोरोनावायरसों में से एक है जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है। 2010 के दशक के दौरान मार्स-सीओवी के कारण सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण कोरिया में बड़ा प्रकोप देखने को मिला था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मार्स-सीओवी  संक्रमण वाले लोगों की मृत्युदर 35 फीसदी के करीब की हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्या कहना है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हालिया रिपोर्ट्स में कोरोनावायरस परिवार के इस नए खतरे के बारे में पता चला है। हालांकि यह मनुष्यों के लिए कितना खतरनाक है, इस बारे में जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मनुष्यों में होने वाले 75 फीसदी संक्रामक रोगों के स्रोत जंगली जानवर होते हैं। कोरोनावायरस अक्सर जानवरों में पाए जाते हैं, जिनमें चमगादड़ भी शामिल हैं, जिन्हें इनमें से कई वायरस के प्राकृतिक भंडार के रूप में पहचाना गया है।

 5 प्वाइंट्स में जानिए नियोकोव के बारे में

  1. स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार, नियोकोव सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में पाया गया और फिर यह अन्य जानवरों में फैल गया।
  2. नियोकोव से अभी तक किसी भी इंसानों को संक्रमित नहीं पाया गया है, फिर भी वैज्ञानिक इसकी आशंका को नकारते नहीं हैं। इसको जानने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं।
  3. वुहान स्थित वैज्ञानिकों ने अध्ययन में दावा किया है कि नियोकोव में म्यूटेशन होने से इसके मनुष्यों को संक्रमित करने का खतरा बढ़ जाता है।
  4. वुहान यूनिवर्सिटी और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज इंस्टीट्यूट ऑफ बायोफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायरस में जिस म्यूटेशन को लेकर आशंका जताई जा रही है, वह इसके जानवरों से इंसानों में संचरण के बैरियर को तोड़ सकता है। इसके लेकर सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
  5. यदि वायरस उस एक उत्परिवर्तन को प्राप्त कर लेता है, तो इससे इंसानों में संक्रमण का जोखिम हो सकता है। यह कोरोनावायरस से अलग तरीके से  ACE2 रिसेप्टर के साथ बाइंडिंग कर सकता है। रिसेप्टर-बाइंडिंग वायरस की एक प्रकृति है जो इसे कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमण फैलाने के योग्य बनाता है।

क्या कोरोनावायरस की तरह ही है नियोकोव

वैज्ञानिकों के मुताबिक नियोकोव, नोवेल कोरोनावायरस से अलग है, पर उसी परिवार का सदस्य है। हाल ही में प्रीप्रिंट रिपॉजिटरी पर पोस्ट किए गए अध्ययन से पता चलता है कि नियोकोव मिडिल ईस्ट रेस्पोरेटरी सिंड्रोम (MERS) से संबंधित है। इस वायरल संक्रमण को पहली बार 2012 में सऊदी अरब में देखा गया था। वहीं कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 वायरस से संबंधित है।

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