यह चार कारक लॉन्ग कोविड का बढ़ा देते हैं खतरा | Post Covid Syndrome

पिछले दो साल से अधिक समय से कोरोना का संक्रमण दुनियाभर के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बना हुआ है। इस पर कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट ने वैज्ञानिकों की चिंता और भी बढ़ा दी है। ओमिक्रॉन वैरिएंट की संक्रामकता काफी अधिक है, जिसके कारण इसका खतरा सभी लोगों में लगातार बना हुआ है। कोरोना संक्रमण के साथ-साथ लॉन्ग कोविड के मामले भी वैज्ञानिकों के लिए मुसीबतों का कारण बने हुए हैं। संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद भी कुछ लोगों में कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं लगातार बनी रहती हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि कुछ लोगों में तो लक्षण एक साल से भी अधिक समय तक रह सकते हैं।

डेल्टा संक्रमण के दौरान किए गए अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने बताया था कि जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण गंभीर होते हैं, उनमें लॉन्ग कोविड का खतरा अधिक होता है, हालांकि बाद में कई ऐसे लोगों में भी लॉन्ग कोविड के मामले देखे गए जिनके लक्षण एसिम्टोमैटिक या फिर हल्के स्तर के थे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर लॉन्ग कोविड का खतरा किन लोगों में अधिक होता है? इसी को लेकर हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उन कारकों के बारे में पता लगाया है जो लॉन्ग कोविड के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

इन चार कारकों के बारे में जानिए

जर्नल सेल में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उन चार कारकों के बारे में बताया है, जिसकी कोरोना संक्रमितों में पहचान करके लॉन्ग कोविड के जोखिम का अंदाजा लगाया जा सकता है। 200 लोगों पर तीन महीने तक किए गए इस अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने बताया कि संक्रमण की शुरुआत में कोरोनावायरस का आरएनए लेवल, ऊतकों पर हमला करने वाली एंटीबॉडीज, एप्सटीन-बार वायरस की सक्रियता और टाइप-2 डायबिटीज, वह चार कारक हैं जो किसी भी व्यक्ति में पोस्ट कोविड के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

इन जोखिम कारकों को समझिए

अध्ययन में पहला कारक कोरोनावायरस का आरएनए लेवल है, जो वायरल लोड का सूचक है। इसके अलावा संक्रमितों में कुछ विशेष प्रकार के एंटीबॉडीज की उपस्थिति भी लॉन्ग कोविड के खतरे को बढ़ा सकती है। यह एंटीबॉडीज गलती से शरीर के ऊतकों पर ही हमला कर देती हैं जैसा कि रुमेटीइड आर्थराइटिस जैसी स्थितियों में होता है। इसके अलावा एपस्टीन-बार वायरस का एक्टिव होना भी पोस्ट कोविड के खतरे को बढ़ा सकता है।

मधुमेह रोगियों को विशेष सावधानी की जरूरत

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने जिस चौथे कारक के बारे में जिक्र किया है वह है टाइप-2 डायबिटीज।शोधकर्ताओं ने पाया है कि अगर संक्रमित व्यक्ति पहले से ही मधुमेह से पीड़ित है तो उसमें लॉन्ग कोविड के जोखिम का खतरा अधिक हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन बातों को ध्यान में रखकर पोस्ट कोविड के खतरे को कम करने की दिशा में पहले से ही प्रयास किए जा सकते हैं।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ स्टीवन डीक्स कहते हैं, इस अध्ययन में लॉन्ग कोविड का पता लगाने के लिए कुछ जैविक तंत्र के साथ पहला वास्तविक ठोस प्रयास है। संक्रमितों में इन चार कारकों को ध्यान में रखते हुए इस खतरे की पहले से पहचान और इससे बचाव के उपाय किए जा सकते हैं। इलाज कर रहे चिकित्सकों को इन चारों कारकों पर विशेष निगरानी की आवश्यकता है।

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